Thursday, January 10, 2013

आग लगने लगे जिसे सुनकर,
फ़ैसला वो जनाब मत करना।

चाहे कुछ भी 'तुषार' मिलता हो,
अपनी नीयत ख़राब मत करना।

-नित्यानंद 'तुषार'

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