mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Saturday, January 12, 2013
उसकी फितरत में नहीं, रुक के कोई बात सुने,
वक़्त आवाज़ है, आवाज़ को आवाज़ न दो।
- बशीर बद्र
(फितरत = प्रकृति, स्वाभाव)
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