Saturday, January 12, 2013

उसकी फितरत में नहीं, रुक के कोई बात सुने,
वक़्त आवाज़ है, आवाज़ को आवाज़ न दो।
- बशीर बद्र

(फितरत = प्रकृति, स्वाभाव)
 

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