mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Tuesday, January 22, 2013
मेरे अशआरों से ख़फ़ा हैं, कुछ दोस्त मेरे,
दुखती रगों पे, उँगलियाँ तो नहीं रख बैठा ?
-शायर: नामालूम
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