Sunday, February 24, 2013

मैं क्या करूँ मेरे क़ातिल न चाहने पर भी,
तेरे लिए मेरे दिल से दुआ निकलती है ।

वो ज़िन्दगी हो कि दुनिया 'फ़राज़' क्या कीजे,
कि जिससे इश्क़ करो बेवफ़ा निकलती है ।
-अहमद फ़राज़

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