Friday, March 1, 2013

साथ गुज़रे जो तेरे वही शाम है,
ज़िन्दगी चंद लम्हात का नाम है ।

सोच भी दफ़्न की होंठ भी सी लिए,
जब से ख़ामोश हूँ दिल को आराम है ।
-आलोक श्रीवास्तव

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