mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Friday, March 1, 2013
हर्फ़-हर्फ़ सोचिये, लफ्ज़-लफ्ज़ बोलिये,
गौर-ओ-फ़िक्र कीजिये, फिर जुबान खोलिये।
-हक़ कानपुरी
(हर्फ़ = अक्षर)
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