mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Wednesday, February 27, 2013
ग़ालिब न कर हुज़ूर से तू अर्ज़ बार-बार,
ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर।
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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