दोहे
भौचक्की है आत्मा, साँसे भी हैरान
हुक्म दिया है जिस्म ने, खाली करो मकान
आँखों में लग जाये तो, नाहक निकले खून
बेहतर है छोटा रखें, रिश्तों के नाखून
व्याकुल है परमात्मा, बेकल है अल्लाह
किसके बंदे नेक हैं, कौन हुआ गुमराह
-आलोक श्रीवास्तव
भौचक्की है आत्मा, साँसे भी हैरान
हुक्म दिया है जिस्म ने, खाली करो मकान
आँखों में लग जाये तो, नाहक निकले खून
बेहतर है छोटा रखें, रिश्तों के नाखून
व्याकुल है परमात्मा, बेकल है अल्लाह
किसके बंदे नेक हैं, कौन हुआ गुमराह
-आलोक श्रीवास्तव
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