Wednesday, February 27, 2013

पढिये इसके सिवा न कोई सबक,
ख़िदमते-ख़ल्क़-ओ-इश्क़े-हज़रते-हक़।
-हसरत मोहानी

(ख़िदमते-ख़ल्क़-ओ-इश्क़े-हज़रते-हक़ = संसार सेवा तथा सत्य से प्रेम)

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