Wednesday, February 27, 2013

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगा,
कलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा ।

हर धर्म की रामायण युग-युग से ये कहती है,
सोने का हिरण लोगे, सीता का हरण होगा ।

जब प्यार किसी दिल का पूजा में बदल जाए,
हर साँस दुआ होगी हर शब्द भजन होगा ।

ग़म गम के अंधेरों से, मायूस हो न जाना,
हर रात की मुट्ठी में, सूरज का रतन होगा ।

-उदयभानु हंस




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