चुपके रहना न मीर, दिल में ठानो,
बोलो-चालो, कहा हमारा मानो ।
इक हर्फ़ न कह सकोगे वक़्ते-रफ़्तन,
चलने को ज़बान के ग़नीमत जानो ।
-मीर तकी मीर
[(हर्फ़ = शब्द), (वक़्ते-रफ़्तन = जाने के समय)]
बोलो-चालो, कहा हमारा मानो ।
इक हर्फ़ न कह सकोगे वक़्ते-रफ़्तन,
चलने को ज़बान के ग़नीमत जानो ।
-मीर तकी मीर
[(हर्फ़ = शब्द), (वक़्ते-रफ़्तन = जाने के समय)]
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