Saturday, June 15, 2013

तुम्हारे पास आता हूँ तो साँसें भीग जाती हैं,
मुहब्बत इतनी मिलती है के' आँखें भीग जाती हैं।

तबस्सुम इत्र जैसा है हँसी बरसात जैसी है,
वो जब भी बात करती है, तो बातें भीग जाती हैं।

तुम्हारी याद से दिल में उजाला होने लगता है,
तुम्हें जब गुनगुनाता हूँ तो रातें भीग जाती हैं।

ज़मीं की गोद भरती है तो क़ुदरत भी चहकती है,
नये पत्तों की आमद से ही शाखें भीग जाती हैं।

तेरे एहसास की ख़ुशबू हमेशा ताज़ा रहती है,
तेरी रहमत की बारिश से मुरादें भीग जाती हैं।
-आलोक श्रीवास्तव

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