अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश
मुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैनें
तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार
दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैनें
जब भी राहों में नज़र आये हरीरी मलबूस
सर्द आहों से तुझे याद किया है मैनें
[(जीस्त = ज़िंदगी), (नाशाद = ग़मग़ीन, उत्साहहीन), (हरीरी मलबूस = रेशमा कपड़े का टुकड़ा)]
और अब जब कि मेरी रूह की पहनाई में
एक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है
तू दमकते हुए आरिज़ की शुआएं लेकर
गुलशुदा शम्मएँ जलाने को चली आई है
[(आरिज़ = गाल), (शुआएं = किरणे) ]
मेरी महबूब ये हन्गामा-ए-तजदीद-ए-वफ़ा
मेरी अफ़सुर्दा जवानी के लिये रास नहीं
मैं ने जो फूल चुने थे तेरे क़दमों के लिये
उन का धुंधला-सा तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
[(तज़दीद = पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना), (अफ़सुर्दा = मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई), (तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)]
एक यख़बस्ता उदासी है दिल-ओ-जाँ पे मुहीत
अब मेरी रूह में बाक़ी है न उम्मीद न जोश
रह गया दब के गिराँबार सलासिल के तले
मेरी दरमान्दा जवानी की उमंगों का ख़रोश
(यख़बस्ता = जमी हुई), (मुहीत = घेरे हुए), (गिराँबार = तनी हुई, कसी हुई), (सलासिल = ज़ंजीर), (दरमान्दा = असहाय, बेसहारा)
-साहिर लुधियानवी
मुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैनें
तूने तो एक ही सदमे से किया था दो चार
दिल को हर तरह से बर्बाद किया है मैनें
जब भी राहों में नज़र आये हरीरी मलबूस
सर्द आहों से तुझे याद किया है मैनें
[(जीस्त = ज़िंदगी), (नाशाद = ग़मग़ीन, उत्साहहीन), (हरीरी मलबूस = रेशमा कपड़े का टुकड़ा)]
और अब जब कि मेरी रूह की पहनाई में
एक सुनसान सी मग़्मूम घटा छाई है
तू दमकते हुए आरिज़ की शुआएं लेकर
गुलशुदा शम्मएँ जलाने को चली आई है
[(आरिज़ = गाल), (शुआएं = किरणे) ]
मेरी महबूब ये हन्गामा-ए-तजदीद-ए-वफ़ा
मेरी अफ़सुर्दा जवानी के लिये रास नहीं
मैं ने जो फूल चुने थे तेरे क़दमों के लिये
उन का धुंधला-सा तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
[(तज़दीद = पुनरोद्भव, फिर से जाग उठना), (अफ़सुर्दा = मुरझाई हुई, कुम्हलाई हुई), (तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)]
एक यख़बस्ता उदासी है दिल-ओ-जाँ पे मुहीत
अब मेरी रूह में बाक़ी है न उम्मीद न जोश
रह गया दब के गिराँबार सलासिल के तले
मेरी दरमान्दा जवानी की उमंगों का ख़रोश
(यख़बस्ता = जमी हुई), (मुहीत = घेरे हुए), (गिराँबार = तनी हुई, कसी हुई), (सलासिल = ज़ंजीर), (दरमान्दा = असहाय, बेसहारा)
No comments:
Post a Comment