सीखिए चलना कायदे से जनाब
फिर गिला करिए रास्ते से जनाब
छोड़ दीजे ख़याल मंज़िल का
डरते हैं गर जो फ़ासले से जनाब
आपकी शक़्ल ही ख़राब रही
क्या मिला बच के आईने से जनाब
ज़ीस्त के माने भी नहीं मालूम
लगते तो हैं पढ़े-लिखे से जनाब
(जीस्त = जीवन)
फिर गिला करिए रास्ते से जनाब
छोड़ दीजे ख़याल मंज़िल का
डरते हैं गर जो फ़ासले से जनाब
आपकी शक़्ल ही ख़राब रही
क्या मिला बच के आईने से जनाब
ज़ीस्त के माने भी नहीं मालूम
लगते तो हैं पढ़े-लिखे से जनाब
(जीस्त = जीवन)
-हस्तीमल 'हस्ती'
too good
ReplyDeletesneh