काम करेगी उसकी धार
बाकी लोहा है बेकार
कैसे बच सकता था मैं
पीछे ठग थे आगे यार
बोरी भर मेहनत पीसूँ
निकले इक मुट्ठी भर सार
भूखे को पकवान लगें
चटनी, रोटी, प्याज, अचार
जीवन है इक ऐसी डोर
गाँठें जिसमें कई हजार
सारे तुगलक चुन चुनकर
हमने बनाई है सरकार
शुक्र है राजा मान गया
दो दूनी होते हैं चार
प्यार वो शै है हस्ती जी
जिसके चेहरे कई हजार
-हस्तीमल 'हस्ती'
बाकी लोहा है बेकार
कैसे बच सकता था मैं
पीछे ठग थे आगे यार
बोरी भर मेहनत पीसूँ
निकले इक मुट्ठी भर सार
भूखे को पकवान लगें
चटनी, रोटी, प्याज, अचार
जीवन है इक ऐसी डोर
गाँठें जिसमें कई हजार
सारे तुगलक चुन चुनकर
हमने बनाई है सरकार
शुक्र है राजा मान गया
दो दूनी होते हैं चार
प्यार वो शै है हस्ती जी
जिसके चेहरे कई हजार
-हस्तीमल 'हस्ती'
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