Sunday, August 11, 2013

अच्छे ईसा हो मरीज़ों का ख़याल अच्छा है
हम मरे जाते हैं तुम कहते हो हाल अच्छा है

तुझ से माँगूँ मैं तुझी को कि सब कुछ मिल जाये
सौ सवालों से यही इक सवाल अच्छा है

देख ले बुलबुल-ओ-परवाना की बेताबी को
हिज्र अच्छा, न हसीनों का विसाल अच्छा है

[(हिज्र = बिछोहजुदाई), (विसाल = मिलन)]

आ गया उस का तसव्वुर तो पुकारा ये शौक़
दिल में जम जाये इलाही ये ख़याल अच्छा है

 (तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद)

-अमीर मीनाई

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