Sunday, September 29, 2013

कभी इसरार की, इज़हार की, इकरार की बातें,
ज़रूरी तो नहीं ग़ज़लों में केवल प्यार की बातें|
ग़मों को ओढ़ कर जो लोग हैं फूटपाथ पर सोते ,
उन्हें शेरो में शामिल कर, न कर रुखसार की बातें|
-आर० सी० शर्मा "आरसी"

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