जो बाग़ के फूलों की हिफ़ाज़त नहीं करते
हम ऐसे उजालों की हिमायत नहीं करते
जूड़े में ही सजने का फ़क़त शौक़ है जिनको
हम ऐसे गुलाबों से मुहब्बत नहीं करते
ज़िंदा हैं मेरे शहर में क्यों ज़ुल्म अभी तक
मुंसिफ तो गुनाहों की वकालत नहीं करते
(मुंसिफ़ = इन्साफ या न्याय करने वाला)
होने लगी शालाओं में ये कैसी पढ़ाई
अब बच्चे बुज़ुर्गों की भी इज़्ज़त नहीं करते
-हस्तीमल 'हस्ती'
हम ऐसे उजालों की हिमायत नहीं करते
जूड़े में ही सजने का फ़क़त शौक़ है जिनको
हम ऐसे गुलाबों से मुहब्बत नहीं करते
ज़िंदा हैं मेरे शहर में क्यों ज़ुल्म अभी तक
मुंसिफ तो गुनाहों की वकालत नहीं करते
(मुंसिफ़ = इन्साफ या न्याय करने वाला)
होने लगी शालाओं में ये कैसी पढ़ाई
अब बच्चे बुज़ुर्गों की भी इज़्ज़त नहीं करते
-हस्तीमल 'हस्ती'
No comments:
Post a Comment