mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Sunday, December 1, 2013
वो जो आए हयात याद आई
भूली बिसरी सी बात याद आई
कि हाल-ए-दिल उनसे कहके जब लौटे
उनसे कहने की बात याद आई
-ख़ुमार बाराबंकवी
(हयात = जीवन)
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment