पानी का अचल होना
मन की शांति और आभा का प्रतीक है ।
पानी जब अचल होता है,
उसमें आदमी का
मुख दिखलाई पड़ता है ।
हिलते पानी का बिम्ब भी हिलता है ।
मन जब अचल पानी के
समान शांत होता है,
उसमें रहस्यों का रहस्य मिलता है ।
मन रे, अचल सरोवर के समान
शांत हो जा ।
जग कर तूने जो भी खेल खेले,
सब गलत हो गया ।
अब सब कुछ भूल कर
नींद में सो जा ।
-रामधारी सिंह 'दिनकर'
पुस्तक: भग्न वीणा
मन की शांति और आभा का प्रतीक है ।
पानी जब अचल होता है,
उसमें आदमी का
मुख दिखलाई पड़ता है ।
हिलते पानी का बिम्ब भी हिलता है ।
मन जब अचल पानी के
समान शांत होता है,
उसमें रहस्यों का रहस्य मिलता है ।
मन रे, अचल सरोवर के समान
शांत हो जा ।
जग कर तूने जो भी खेल खेले,
सब गलत हो गया ।
अब सब कुछ भूल कर
नींद में सो जा ।
-रामधारी सिंह 'दिनकर'
पुस्तक: भग्न वीणा
No comments:
Post a Comment