Wednesday, May 20, 2015

अपने सच में झूठ की मिक्दार थोड़ी कम रही

अपने सच में झूठ की मिक्दार थोड़ी कम रही
कितनी कोशिश की, मगर, हर बार थोड़ी कम रही

(मिक्दार = मात्रा)

कुछ अना भी बिकने को तैयार थोड़ी कम रही
और कुछ दीनार की झनकार थोड़ी कम रही

(अना = आत्मसम्मान)

ज़िन्दगी ! तेरे क़दम भी हर बुलन्दी चूमती
तू ही झुकने के लिए तैयार थोड़ी कम रही

सुनते आए हैं कि पानी से भी कट जाते हैं संग
शायद अपने आँसुओं की धार थोड़ी कम रही

(संग = पत्थर)

या तो इस दुनिया के मनवाने में कोई बात थी
या हमारी नीयत-ए-इनकार थोड़ी कम रही

रंग और ख़ुशबू का जादू अबके पहले सा न था
मौसम-ए-गुल में बहार इस बार थोड़ी कम रही

(मौसम-ए-गुल = फूलों का मौसम)

आज दिल को अक़्ल ने जल्दी ही राज़ी कर लिया
रोज़ से कुछ आज की तक़रार थोड़ी कम रही

लोग सुन कर दास्ताँ चुप रह गए, रोए नहीं
शायद अपनी शिद्दत-ए-इज़हार थोड़ी कम रही

(शिद्दत-ए-इज़हार = वक्तव्य/ बयान प्रकट करने की तीव्रता)

-राजेश रेड्डी

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