रंगे दुनिया में ढल गए हो तुम
ये सुना है बदल गए हो तुम।
फिर नया इक फ़रेब खाओगे
आँसुओं से पिघल गए हो तुम।
मत चले जाना छोड़ कर हमको
इक नगीने से फल गए हो तुम।
फ़िर गुज़रती है ज़िन्दगी आसां
गर दुखों से बहल गए हो तुम।
पूछता कौन है तुम्हें " वाहिद"
दास्तां से निकल गए हो तुम।
- विकास " वाहिद"
२८ अप्रैल २०१९
ये सुना है बदल गए हो तुम।
फिर नया इक फ़रेब खाओगे
आँसुओं से पिघल गए हो तुम।
मत चले जाना छोड़ कर हमको
इक नगीने से फल गए हो तुम।
फ़िर गुज़रती है ज़िन्दगी आसां
गर दुखों से बहल गए हो तुम।
पूछता कौन है तुम्हें " वाहिद"
दास्तां से निकल गए हो तुम।
- विकास " वाहिद"
२८ अप्रैल २०१९
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