औरों की बुराई को न देखूँ वो नज़र दे
हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे
वो लोग जो सूरज के उजाले में चले थे
किस राह में गुम हो गए कुछ उन की ख़बर दे
इक उम्र से जलते हुए सहराओं में गुम हूँ
कुछ देर ठहर जाऊँगा दामान-ए-शजर दे
(सहराओं = रेगिस्तानों), (दामान-ए-शजर = पेड़ का दामन)
इक ख़ौफ़ सा तारी है घरों से नहीं निकले
तरसी हुई आँखों को सराबों का सफ़र दे
(तारी = आ घेरना, छाना), (सराबों = मृगतृष्णाओं)
सब अपने चराग़ों को बुझाए हुए चुप हैं
इक आग सी सीने में लगा दे वो शरर दे
(शरर = चिंगारी)
-खलील तनवीर
हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे
वो लोग जो सूरज के उजाले में चले थे
किस राह में गुम हो गए कुछ उन की ख़बर दे
इक उम्र से जलते हुए सहराओं में गुम हूँ
कुछ देर ठहर जाऊँगा दामान-ए-शजर दे
(सहराओं = रेगिस्तानों), (दामान-ए-शजर = पेड़ का दामन)
इक ख़ौफ़ सा तारी है घरों से नहीं निकले
तरसी हुई आँखों को सराबों का सफ़र दे
(तारी = आ घेरना, छाना), (सराबों = मृगतृष्णाओं)
सब अपने चराग़ों को बुझाए हुए चुप हैं
इक आग सी सीने में लगा दे वो शरर दे
(शरर = चिंगारी)
-खलील तनवीर
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