Sunday, May 12, 2019

कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
-बेदम शाह वारसी

 (नाख़ुदा = नाविक, मल्लाह)

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