Thursday, June 27, 2019

'बद्र' जब आगही से मिलता है

'बद्र' जब आगही से मिलता है
इक दिया रौशनी से मिलता है

(आगही  = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)

चाँद तारे शफ़क़ धनक खुशबू
सिलसिला ये उसी से मिलता है

(शफ़क़ = किरणे, सवेरे या शाम की लालिमा जो क्षितिज पर होती है), (धनुक = इन्द्रधनुष)

जितनी ज़ियादा है कम है उतनी ही
ये चलन आगही से मिलता है

(आगही  = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)

दुश्मनी पेड़ पर नहीं उगती
ये समर दोस्ती से मिलता है

(समर=फल)

यूँ तो मिलने को लोग मिलते हैं
दिल मगर कम किसी से मिलता है

'बद्र' आप और ख़याल भी उस का
साया कब रौशनी से मिलता है

-साबिर बद्र जाफ़री

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