'बद्र' जब आगही से मिलता है
इक दिया रौशनी से मिलता है
(आगही = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)
चाँद तारे शफ़क़ धनक खुशबू
सिलसिला ये उसी से मिलता है
(शफ़क़ = किरणे, सवेरे या शाम की लालिमा जो क्षितिज पर होती है), (धनुक = इन्द्रधनुष)
जितनी ज़ियादा है कम है उतनी ही
ये चलन आगही से मिलता है
(आगही = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)
दुश्मनी पेड़ पर नहीं उगती
ये समर दोस्ती से मिलता है
(समर=फल)
यूँ तो मिलने को लोग मिलते हैं
दिल मगर कम किसी से मिलता है
'बद्र' आप और ख़याल भी उस का
साया कब रौशनी से मिलता है
-साबिर बद्र जाफ़री
इक दिया रौशनी से मिलता है
(आगही = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)
चाँद तारे शफ़क़ धनक खुशबू
सिलसिला ये उसी से मिलता है
(शफ़क़ = किरणे, सवेरे या शाम की लालिमा जो क्षितिज पर होती है), (धनुक = इन्द्रधनुष)
जितनी ज़ियादा है कम है उतनी ही
ये चलन आगही से मिलता है
(आगही = ज्ञान, जानकारी, समझ-बूझ, चेतना, सूचना)
दुश्मनी पेड़ पर नहीं उगती
ये समर दोस्ती से मिलता है
(समर=फल)
यूँ तो मिलने को लोग मिलते हैं
दिल मगर कम किसी से मिलता है
'बद्र' आप और ख़याल भी उस का
साया कब रौशनी से मिलता है
-साबिर बद्र जाफ़री
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