अपना लगता है पर नहीं होता
घर किराये का घर नहीं होता
मुल्के हिन्दोस्तान है, वरना
तेरी गर्दन पे सर नहीं होता
ज़िन्दगी से घटा के देख लिया
ग़म किसी का सिफ़र नहीं होता
(सिफ़र = शून्य)
प्यार की इक यही ख़राबी है
हो इधर तो उधर नहीं होता
एक चेहरे के रूठ जाने से
आइना तरबतर नहीं होता
मेरी मुश्किल मलंग इतनी हैं
मेरा मुझ पे असर नहीं होता
-सुधीर बल्लेवार 'मलंग'
घर किराये का घर नहीं होता
मुल्के हिन्दोस्तान है, वरना
तेरी गर्दन पे सर नहीं होता
ज़िन्दगी से घटा के देख लिया
ग़म किसी का सिफ़र नहीं होता
(सिफ़र = शून्य)
प्यार की इक यही ख़राबी है
हो इधर तो उधर नहीं होता
एक चेहरे के रूठ जाने से
आइना तरबतर नहीं होता
मेरी मुश्किल मलंग इतनी हैं
मेरा मुझ पे असर नहीं होता
-सुधीर बल्लेवार 'मलंग'
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