Sunday, May 26, 2013

ज़र का, ज़रूरतों का, ज़माने का, दोस्तों
करते तो हम भी हैं मगर इतना अदब नही

(ज़र = धन)

दुनिया से क्या शिकायतें, लोगों से क्या गिला
हमको ही ज़िन्दगी से निभाने का ढब नहीं
-जावेद अख़्तर

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