Sunday, June 9, 2013

खोली है ज़ौक-ए-दीद ने आँखें तेरी अगर,
हर रहगुज़र में नक़्श-ए-कफ-ए-पा-ए-यार देख
माना की तेरी दीद के काबिल नहीं हूँ मैं,
तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतज़ार देख
-इक़बाल

हालांकी तू जवां है मुटलउ है आज भी,
फिर भी मुझे है कितना ऐतबार देख
खुदवा रहा हूँ कब्र अभी से तेरे लिए,
तू  मेरा शौक देख तू  मेरा इंतज़ार देख
-पौपुलर मेरठी

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