Thursday, June 27, 2013

ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ा न कर सके
हम अपने जौहरों को नुमायाँ न कर सके

[(अर्ज़ा = सस्ता), (जौहर = गुण, दक्षता),  (नुमायाँ = व्यक्त, ज़ाहिर)]

होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दर्मा न कर सके

[(ग़म-ए-हयात = जीवन का दुःख), (दर्मा = उपचार, चिकित्सा, इलाज)]

टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह
फिर आरज़ू की शमा फ़ुरोजां न कर सके

[(तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत = प्यार के इकरार का जादू), (फ़ुरोजां = प्रकाशमान, रौशन)]

हर शय क़रीब आ के कशिश अपनी खो गई
वो भी इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ न कर सके

[(शय = वस्तु, चीज़), (इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ = चाहत के इलाज से बचकर निकलना)]

किस दरजा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके

मायूसियों ने छीन लिये दिल के वल-वले
वो भी निशात-ए-रूह का सामाँ न कर सके

(निशात-ए-रूह = आत्मिक आनंद)
-साहिर लुधियानवी

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