ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ा न कर सके
हम अपने जौहरों को नुमायाँ न कर सके
[(अर्ज़ा = सस्ता), (जौहर = गुण, दक्षता), (नुमायाँ = व्यक्त, ज़ाहिर)]
होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दर्मा न कर सके
[(ग़म-ए-हयात = जीवन का दुःख), (दर्मा = उपचार, चिकित्सा, इलाज)]
टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह
फिर आरज़ू की शमा फ़ुरोजां न कर सके
[(तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत = प्यार के इकरार का जादू), (फ़ुरोजां = प्रकाशमान, रौशन)]
हर शय क़रीब आ के कशिश अपनी खो गई
वो भी इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ न कर सके
[(शय = वस्तु, चीज़), (इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ = चाहत के इलाज से बचकर निकलना)]
किस दरजा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
मायूसियों ने छीन लिये दिल के वल-वले
वो भी निशात-ए-रूह का सामाँ न कर सके
(निशात-ए-रूह = आत्मिक आनंद)
-साहिर लुधियानवी
हम अपने जौहरों को नुमायाँ न कर सके
[(अर्ज़ा = सस्ता), (जौहर = गुण, दक्षता), (नुमायाँ = व्यक्त, ज़ाहिर)]
होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये
लेकिन ग़म-ए-हयात का दर्मा न कर सके
[(ग़म-ए-हयात = जीवन का दुःख), (दर्मा = उपचार, चिकित्सा, इलाज)]
टूटा तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत कुछ इस तरह
फिर आरज़ू की शमा फ़ुरोजां न कर सके
[(तलिस्म-ए-अहद-ए-मोहब्बत = प्यार के इकरार का जादू), (फ़ुरोजां = प्रकाशमान, रौशन)]
हर शय क़रीब आ के कशिश अपनी खो गई
वो भी इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ न कर सके
[(शय = वस्तु, चीज़), (इलाज-ए-शौक़-ए-गुरेज़ाँ = चाहत के इलाज से बचकर निकलना)]
किस दरजा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िन्दगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
मायूसियों ने छीन लिये दिल के वल-वले
वो भी निशात-ए-रूह का सामाँ न कर सके
(निशात-ए-रूह = आत्मिक आनंद)
-साहिर लुधियानवी
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