मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है
कि मेरे दोस्त का दुश्मन, मिरी अमान में है
(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठा), (अमान = सुरक्षा, पनाह, निर्भरता, हिफ़ाज़त)
तुम्हारा नाम लिया था कभी, मुहब्बत से
मिठास उसकी अभी तक, मिरी ज़बान में है
तुम आ के लौट गए, फिर भी हो यहीँ मौजूद
तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू, मिरे मकान में है
है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है
कि जैसे आईना महफ़ूज़ इक चट्टान में है
तुझे जो ज़ख़्म दे तू उस को फूल दे 'दाना'
यही उसूल-ए-वफ़ा तेरे ख़ानदान में है
-अब्बास दाना
कि मेरे दोस्त का दुश्मन, मिरी अमान में है
(ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठा), (अमान = सुरक्षा, पनाह, निर्भरता, हिफ़ाज़त)
तुम्हारा नाम लिया था कभी, मुहब्बत से
मिठास उसकी अभी तक, मिरी ज़बान में है
तुम आ के लौट गए, फिर भी हो यहीँ मौजूद
तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू, मिरे मकान में है
है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है
कि जैसे आईना महफ़ूज़ इक चट्टान में है
तुझे जो ज़ख़्म दे तू उस को फूल दे 'दाना'
यही उसूल-ए-वफ़ा तेरे ख़ानदान में है
-अब्बास दाना
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